GST में होगा ऐतिहासिक बदलाव? जीएसटी काउंसिल की अहम बैठक, 4 टैक्स स्लैब घटकर 2 होंगे, आम जनता पर पड़ेगा सीधा असर
नई दिल्ली: जीएसटी काउंसिल की बहुप्रतीक्षित दो दिवसीय बैठक आज से शुरू हो रही है, जिस पर पूरे देश की निगाहें टिकी हैं। यह बैठक इसलिए बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि इसमें जीएसटी के टैक्स ढांचे में एक बड़ा सुधार होने की उम्मीद है। सरकार मौजूदा चार टैक्स स्लैब को घटाकर दो कर सकती है, जो 2017 में जीएसटी लागू होने के बाद का सबसे बड़ा सुधार होगा।

टैक्स स्लैब में क्या बदलाव हो सकता है?
अगर जीएसटी काउंसिल इस प्रस्ताव पर मुहर लगाती है, तो देश में अब केवल दो टैक्स स्लैब 5% और 18% ही रहेंगे। वर्तमान में लागू 12% और 28% के स्लैब को खत्म किया जा सकता है। इस बदलाव से टैक्स प्रणाली सरल होगी और व्यापारियों के लिए अनुपालन आसान हो जाएगा।
‘सिन टैक्स’ का नया स्लैब
इस बैठक में एक और अहम प्रस्ताव पर चर्चा होगी – तंबाकू, सिगरेट, गुटखा और अन्य हानिकारक (demerit) उत्पादों के लिए 40% का एक अलग ‘सिन टैक्स’ (Sin Tax) स्लैब बनाया जा सकता है। इस कदम का दोहरा मकसद है:
राजस्व बढ़ाना: इस अतिरिक्त टैक्स से सरकार को बड़ी मात्रा में राजस्व मिलेगा, जिसका उपयोग सामाजिक कल्याण योजनाओं में किया जा सकता है।
खपत कम करना: इन उत्पादों को महंगा करके इनकी खपत को हतोत्साहित करना।
यह भी माना जा रहा है कि लग्जरी कार और हाई-एंड इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे उत्पाद भी इस श्रेणी में आ सकते हैं।
आम जनता और कारोबार पर क्या होगा असर?
यह संरचनात्मक बदलाव आम लोगों और कारोबारियों दोनों के लिए फायदेमंद हो सकता है।
उपभोक्ताओं के लिए: कई विशेषज्ञों का मानना है कि यह बदलाव बाजार में खपत को बढ़ावा देगा, क्योंकि 12% और 28% स्लैब के कुछ उत्पाद सस्ते हो सकते हैं।
कारोबारियों के लिए: टैक्स स्लैब कम होने से कारोबारियों को टैक्स नियमों का पालन करने में आसानी होगी और प्रशासनिक लागत भी घटेगी।
यह सुधार भारत की अर्थव्यवस्था को और मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। गौरतलब है कि अगस्त 2025 में जीएसटी कलेक्शन ₹1.86 लाख करोड़ रहा, जो पिछले वर्ष की तुलना में 6.5% अधिक है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि देश की आर्थिक गतिविधियां तेजी से बढ़ रही हैं।