Navratri Special: नवरात्रि क्यों मनाई जाती है, जानें इसके पीछे की कहानी
नवरात्रि का धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व
नवरात्रि भारत का एक प्रमुख हिंदू पर्व है, जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक माना जाता है। यह पर्व देवी दुर्गा के महिषासुर नामक शक्तिशाली राक्षस पर विजय का स्मरण कराता है। नवरात्रि के दौरान भक्त देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करते हैं और शक्ति, समृद्धि तथा ज्ञान का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उपवास रखते हैं, मंत्रों का जाप करते हैं और विभिन्न सांस्कृतिक आयोजनों में भाग लेते हैं। यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था का उत्सव है, बल्कि आत्मा की शुद्धि, मानसिक शांति और समाज में सद्भाव का भी प्रतीक है
धार्मिक महत्व
1. बुराई पर अच्छाई की विजय:
नवरात्रि का सबसे बड़ा उद्देश्य देवी दुर्गा द्वारा महिषासुर जैसे दुष्ट राक्षस का वध कर अच्छाई की विजय का संदेश देना है। यह पर्व हमें सिखाता है कि नकारात्मकता पर हमेशा सकारात्मकता की जीत होती है।
2. मातृशक्ति का सम्मान:
नवरात्रि देवी दुर्गा की उपासना का पर्व है, जिन्हें आद्यशक्ति और सृष्टि की जननी माना जाता है। यह पर्व नारी शक्ति, धैर्य और साहस का सम्मान करने का अवसर प्रदान करता है।
3. आंतरिक परिवर्तन और आत्मबल:
उपवास, ध्यान और पूजा के माध्यम से भक्त अपने भीतर की ऊर्जा को जगाते हैं। यह पर्व जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने, मानसिक संतुलन प्राप्त करने और आत्मबल को मजबूत करने का एक अवसर है।
क्यों मनाया जाता है?
पौराणिक कथा:
महिषासुर नामक राक्षस को वरदान मिला था कि उसे कोई पुरुष या देवता नहीं मार सकता। तब देवताओं की शक्तियों के मिलन से देवी दुर्गा का अवतरण हुआ, जिन्होंने नौ दिनों तक महिषासुर से युद्ध किया और दसवें दिन उसका वध कर बुराई पर विजय प्राप्त की। इसी की स्मृति में नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है।
नौ दिनों तक चलने वाला उत्सव:
नवरात्रि नौ दिव्य स्वरूपों की पूजा के लिए मनाई जाती है। हर दिन देवी का एक विशेष रूप पूजित होता है और भक्त अलग-अलग पूजा विधियों से शक्ति का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व:
नवरात्रि के दौरान पूजा, उपवास के साथ डांडिया, गरबा और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। यह पर्व समाज में एकता, सकारात्मक सोच और परस्पर सहयोग को बढ़ावा देता है।