Pitr Paksh: किस तिथि को करें अपने पितरों का तर्पण और श्राद्ध? जानें पूरी जानकारी
नई दिल्ली: – भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होकर अमावस्या तक चलने वाला पितृ पक्ष इस बार 8 सितंबर, सोमवार से प्रारंभ हो रहा है। यह अवधि अपने पितरों की स्मृति और उनकी आत्मा की शांति के लिए तर्पण, श्राद्ध, दान और पिंडदान जैसे कर्म करने के लिए समर्पित मानी जाती है।
पितृ पक्ष का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितरों की तृप्ति के बिना देवताओं की पूजा भी अधूरी मानी जाती है। पितृ पक्ष को पितरों को प्रसन्न कर उनके आशीर्वाद प्राप्त करने का उत्तम समय बताया गया है। इसी दौरान लोग अपने पूर्वजों के लिए तर्पण और श्राद्ध करते हैं, जिससे परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है और पितृ दोष का निवारण भी होता है।
पितरों की श्राद्ध तिथि कैसे तय करें?
जब किसी व्यक्ति का निधन होता है तो उस दिन एक विशेष तिथि (पंचांग के अनुसार) जुड़ी होती है। उसी तिथि के आधार पर पितृ पक्ष में उसका श्राद्ध किया जाता है।
उदाहरण के लिए – यदि किसी व्यक्ति का निधन 4 सितंबर 2025 को हुआ, तो उस दिन भाद्रपद शुक्ल द्वादशी थी। इसलिए पितृ पक्ष में हर वर्ष उसके लिए कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि पर ही तर्पण-श्राद्ध किया जाएगा।
पितृ पक्ष 2025 की तिथियां
प्रतिपदा श्राद्ध – 8 सितंबर, सोमवार
द्वितीया श्राद्ध – 9 सितंबर, मंगलवार
तृतीया श्राद्ध – 10 सितंबर, बुधवार
चतुर्थी श्राद्ध – 10 सितंबर, बुधवार
पंचमी श्राद्ध – 11 सितंबर, गुरुवार
षष्ठी श्राद्ध – 12 सितंबर, शुक्रवार
सप्तमी श्राद्ध – 13 सितंबर, शनिवार
अष्टमी श्राद्ध – 14 सितंबर, रविवार
नवमी श्राद्ध – 15 सितंबर, सोमवार
दशमी श्राद्ध – 16 सितंबर, मंगलवार
एकादशी श्राद्ध – 17 सितंबर, बुधवार
द्वादशी श्राद्ध – 18 सितंबर, गुरुवार
त्रयोदशी श्राद्ध – 19 सितंबर, शुक्रवार
चतुर्दशी श्राद्ध – 20 सितंबर, शनिवार
अमावस्या (सर्वपितृ अमावस्या) श्राद्ध – 21 सितंबर, रविवार