Display of China’s military power: विक्ट्री डे परेड में 5th जनरेशन जेट, न्यूक्लियर मिसाइल और विध्वंसक हथियार का डेब्यू!
बीजिंग, चीन: द्वितीय विश्व युद्ध की 80वीं वर्षगांठ के मौके पर चीन ने दुनिया को अपनी सैन्य ताकत का एहसास कराया। बीजिंग में आयोजित अब तक की सबसे बड़ी विक्ट्री डे परेड में चीन ने कई नए और विध्वंसक हथियारों का प्रदर्शन किया। इस ऐतिहासिक परेड में रूस के राष्ट्रपति पुतिन और उत्तर कोरिया के किम जोंग उन सहित 26 देशों के राष्ट्रध्यक्षों ने भी शिरकत की, जिसे अमेरिका के लिए एक स्पष्ट संदेश के तौर पर देखा जा रहा है।
मुख्य आकर्षण: 5th जनरेशन जेट और न्यूक्लियर ट्रायड
परेड में सबसे बड़ा आकर्षण दो-सीटर J-20S फाइटर जेट रहा, जिसे 5वीं पीढ़ी का स्टील्थ फाइटर जेट माना जाता है। चीन इसे अपना ‘आधुनिक युद्धक विमान’ बता रहा है, जिसमें एडवांस स्टील्थ टेक्नोलॉजी और हाई-एंड एवियोनिक्स सिस्टम मौजूद हैं। इसके अलावा, KJ-600 अर्ली वार्निंग एयरक्राफ्ट ने भी पहली बार परेड में हिस्सा लिया।
चीन ने पहली बार अपने परमाणु त्रिकोण (Nuclear Triad) को भी सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित किया, जिसमें भूमि, जल और वायु-आधारित सामरिक परमाणु शक्तियां शामिल थीं। इनमें जिंगलेई-1 एयर-लॉन्च मिसाइल, जूलैंग-3 पनडुब्बी-लॉन्च बैलिस्टिक मिसाइल (SLBM) और डोंगफेंग-61 जैसी इंटरकॉन्टिनेंटल मिसाइलें शामिल थीं।
इन हथियारों ने भी दुनिया का ध्यान खींचा
परेड में कई और विध्वंसक हथियारों का डेब्यू हुआ, जो चीन की बढ़ती सैन्य क्षमता को दर्शाते हैं:
DF-5 स्ट्रेटेजिक इंटरकॉन्टिनेंटल न्यूक्लियर मिसाइल: चीन का दावा है कि इसकी मारक क्षमता पूरी दुनिया को कवर करने में सक्षम है।
HQ-19 एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल सिस्टम: यह दुश्मन की बैलिस्टिक मिसाइलों को रोकने में सक्षम है।
PCH-191 मॉड्यूलर लॉन्ग-रेंज रॉकेट लॉन्चर्स: HIMARS की तरह यह सिस्टम लंबी दूरी तक सटीक हमला कर सकता है।
अनमैन्ड सिस्टम्स: कई प्रकार की मानवरहित समुद्री युद्ध प्रणालियां (Unmanned Naval Warfare Systems) और ड्रोन सिस्टम, जिनमें GJ-11 ‘लॉयल विंगमैन’ ड्रोन भी शामिल था, ने अपनी भविष्यवादी डिजाइन से सबका ध्यान आकर्षित किया।
इनके अलावा, H-6J लॉन्ग-रेंज बॉम्बर, DF-26D और DF-17 हाइपरसोनिक मिसाइलें, और टाइप 99B मेन बैटल टैंक जैसे अत्याधुनिक हथियारों को भी परेड में दिखाया गया।
राजनीतिक संदेश और ग्लोबल इंपैक्ट
यह परेड केवल सैन्य शक्ति का प्रदर्शन नहीं थी, बल्कि एक मजबूत राजनीतिक संदेश भी था। पुतिन और किम की शी जिनपिंग के साथ एक ही मंच पर उपस्थिति ने चीन, रूस और उत्तर कोरिया के बीच बढ़ते रणनीतिक सहयोग को उजागर किया। इसे अमेरिका और उसके सहयोगियों, विशेषकर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए एक चुनौती के रूप में देखा जा रहा है।
इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शी और पुतिन के साथ हुई मुलाकातें भी चर्चा में रहीं, खासकर अमेरिकी टैरिफ धमकी के संदर्भ में। कुल मिलाकर, यह परेड चीन की विश्व मंच पर बढ़ती हुई सैन्य और राजनीतिक ताकत का एक स्पष्ट संकेत है।