Anant Chaturdashi: क्यों बांधा जाता है 14 गांठों वाला अनंत सूत्र? जानें इसकी विधि और महत्व
नई दिल्ली – भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन 10 दिनों तक चले गणेशोत्सव का समापन होता है और साथ ही भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है।

अनंत चतुर्दशी पर भगवान श्रीहरि विष्णु के अनंत स्वरूप की उपासना की जाती है। पूजा के बाद भक्त अपनी बाजू पर 14 गांठों वाला अनंत सूत्र (रक्षासूत्र) बांधते हैं, जिसे सुख-समृद्धि और संकट निवारण का प्रतीक माना जाता है।
अनंत चतुर्दशी का महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस व्रत की शुरुआत महाभारत काल में हुई थी। कठिन परिस्थितियों में पांडवों ने यह व्रत किया था, जिसके बाद उनके जीवन से संकट दूर हो गए। तभी से इसे सुख-समृद्धि और संकट हरने वाला पर्व माना जाता है।
14 गांठों का महत्व
मान्यता है कि भगवान विष्णु ने 14 लोकों की रचना कर उनके संरक्षण हेतु 14 रूप धारण किए थे।
अनंत सूत्र की प्रत्येक गांठ इन 14 लोकों (भूर्लोक से पाताल लोक तक) का प्रतीक है।
इसे भगवान विष्णु के 14 स्वरूपों – अनंत, ऋषिकेश, पद्मनाभ, माधव, वैकुण्ठ, श्रीधर, त्रिविक्रम, मधुसूदन, वामन, केशव, नारायण, दामोदर और गोविन्द – का प्रतीक भी माना जाता है।
इस धागे को धारण करने से भय दूर होता है, पाप नष्ट होते हैं और भगवान विष्णु की कृपा से बैकुंठ प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
अनंत सूत्र बांधने की विधि
पूजा के बाद पुरुष दाहिने हाथ में और महिलाएं बाएं हाथ में अनंत सूत्र बांधती हैं।
धागे को हल्दी या केसर से रंगकर उसमें 14 गांठें लगाई जाती हैं।
इसे भगवान विष्णु को अर्पित कर “ॐ अनंताय नमः” मंत्र का जाप करते हुए बाजू पर बांधा जाता है।
माना जाता है कि इस दिन से 14 वर्षों तक व्रत और सूत्र धारण करने पर विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
धागा कब और कैसे उतारें?
अनंत सूत्र को पूजा के दिन या 14 दिनों बाद उतारा जाता है। इसे उतारते समय भी “ॐ अनंताय नमः” मंत्र का जाप करना चाहिए। उसके बाद इस धागे को किसी पवित्र नदी में प्रवाहित कर देना चाहिए।